Women Shayari in Hindi | नारी पर शायरी | Women's Day Shayari
दिन की रौशनी ख्वाबों को बनाने में गुजर गई,
रात की नींद बच्चे को सुलाने में गुजर गई,
जिस घर में मेरे नाम की तख्ती भी नहीं,
सारी उम्र उस घर को सजाने में गुजर गई।
नारी ही शक्ति है नर की,
नारी ही है शोभा घर की,
जो उसे उचित सम्मान मिले,
तो घर में खुशियों के फुल खिले।
बेटी-बहु कभी माँ बनकर,
सबके ही सुख-दुःख को सहकर,
अपने सब फर्ज निभाती है,
तभी तो नारी कहलाती हैं।
मुस्कुराकर, दर्द भुलाकर, रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी,
हर पथ को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी।
दुनिया की पहचान है औरत,
हर घर की जान है औरत,
बेटी, बहन, माँ और पत्नी बनकर,
घर घर की शान है औरत।
घर को स्वर्ग बनाती नारी,
घर की इज्जत होती नारी,
देव भी करते जिसकी पूजा,
ऐसी प्यारी मूरत है नारी।
औरत प्यार-मोहब्बत करने वाले को शायद भूल जाए पर इज्जत करने वालों को कभी नहीं भूलती। नारी का सम्मान सबका परम कर्तव्य हैं।
क्यों कहती है दुनिया कि, नारी कमजोर हैं,
आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर हैं।
जब है नारी में शक्ति सारी,
तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी।
कुछ लोग कहते है की नारी का कोई घर नहीं होता,
लेकिन मेरा यकीन है के औरत के बिना कोई घर घर नहीं होता।
जिसने बस त्याग ही त्याग किए,
जो बस दूसरों के लिए जिए,
फिर क्यों उसको धिक्कार दो,
उसे जीने का अधिकार दो।
चलो अब इंसान बने, नारी का सम्मान करें।
अभी रोशन हुआ जाता है रास्ता,
वो देखो एक औरत आ रही हैं।
औरत को जो समझता था जो खिलौना,
उस शख्स को दामाद भी वैसा ही मिला हैं।
एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई,
मैंने एक बार कहा था मुझे डर लगता हैं।
बाँधने वाली डोर है औरत,
मत समझो कमजोर है औरत।
औरत खुद एक बहुत बड़ी ताकत है,
इतनी बड़ी की मर्द पैदा करती हैं।
अपमान मत करना नारियों का,
इन के बल पर जग चलता है,
मर्द जन्म लेकर तो इसी की गोद में पलता हैं।
हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए,
हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर एक स्त्री अकेली है काफी है घर को स्वर्ग बनाने के लिए।
नारी से ही नूर है,
वरना सबकुछ बेघर है,
,मकान बनता घर उससे,
वरना ये झर्झर हैं।
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी
अपनो की हिफाजत में सबसे अव्वल नारी
धन्य हो तुम माँ सीता,
तुमने नारी का मन जीता.
दुनिया की पहचान है,औरत
हर घर की जान है औरत
बेटी, बहन, माँ और पत्नी बनकर
घर घर की शान है औरत
औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ
एक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सबसे लड़ी हूँ
– फ़रहत ज़ाहिद
अपने हौसले से तकदीर को बदल दूँ,
सुन ले दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ.
लोग कहते हैं तेरा क्या अस्तित्व नारी,
दुःखों को दूर कर, खुशियों को बिखेरे नारी.
अपमान न करना नारियों का,
इनके बल पर जग चलता हैं,
पुरूष जन्म लेकर तो
इन्हीं के गोद में पलता हैं.
नारी शक्ति है, सम्मान है
नारी गौरव है, अभिमान है
नारी ने ही ये रचा विधान है
हमारा शत-शत प्रणाम है.
– लवविवेक मौर्या(लखीमपुर खीरी)
नारी तुम प्रेम हो, आस्था हो, विश्वास हो,
टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो.
दिलों में बस जाए वो मोहब्बत हूँ,
कभी बहन तो कभी ममता की मूरत हूँ.
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