Tanhai Shayari Hindi | तन्हाई शायरी
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा,
दूर तुमसे अब रह न सकूँगा,
अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,
ये दूरी अब सह न सकूँगा।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,
आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,
आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,
इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।
तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया,
रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।
कितना अधूरा सा लगता है जब बादल हो बारिश न हो,
आँखें हो कोई ख्वाब न हो और अपना हो पर पास न हो।
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात...
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,
मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,
और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी।
चाँदनी बन के बरसने लगती हैं
तेरी यादें मुझ पर,
बड़ा ही दिलकश मेरी
तनहाइयों का मंज़र होता है।
ये शाम बहुत तनहा है मिलने की भी तलब है,पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है,कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत था,मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत की कहाँ है।
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला,
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला,
तेरे होते हुए आ जाती थी दुनिया सारी,
आज तनहा हूँ तो कोई नहीं आने वाला।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है,अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है,तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती,तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है।
अभी अभी वो मिला था हज़ार बातें कीं,
अभी अभी वो गया है मगर ज़माना हुआ।
तेरे आने की खबर मुझे ये हवाएं देती हैं,
तेरे मिलने को मेरी हर साँस तरसती है,
तू कब आके मिलेगी अपने इस दीवाने से,
तुझसे मिलने को मेरी आवाज तरसती है।
गुजर तो जाएगी तेरे बगैर भी लेकिन
बहुत उदास बहुत बे-क़रार गुजरेगी।
हम मिले भी तो क्या मिले
वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे कदम बढ़े
न कभी तुम्हारी झिझक गई।
तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जायेगा,
आँखें ताजा मंजरों में खो तो जायेंगी मगर,
दिल पुराने मौसमों को ढूंढ़ता रह जायेगा।
माना कि आज उसका मुझसे कोई वास्ता नहीं रहा,
मगर आज भी उसके हिस्से का वक्त तन्हा गुजरता है।
और क्या लिखूं... अपनी जिन्दगी के बारे में,
जो जिन्दगी हुआ करते थे वो ही बिछड़ गये।
इक दर्द छुपा हो सीने में मुस्कान अधूरी लगती है,
न जाने क्यूँ बिन तेरे... हर शाम अधूरी लगती है
तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें,
तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें,
बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की,
करबट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।
मेरी ज़िंदगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे,
मेरी मौत को भी कोई बहाना चाहिए।
मेरी ज़िंदगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे,
मेरी मौत को भी कोई बहाना चाहिए।
साँसों में तपिश, यादों में कसक, आहों में नमी है,
इस दिसंबर में सब कुछ है बस उसकी कमी है।
सुकून अपने दिल का मैंने खो दिया,
खुद को तन्हाई के समंदर मे डुबो दिया,
जो थी मेरे कभी मुस्कराने की वजह,
उसकी कमी ने मेरी पलकों को भिगो दिया।
Sad Status in Hindi in One Line
वो शख्स भरी महफिल में भी मेरी तरह तन्हा है,
उसे ना पीने का शौक है... ना पिलाने का।
मैं हूँ दिल है तन्हाई है,
तुम भी जो होते तो अच्छा होता।
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हो तनहाई भी।
अजब से वो दिन थे अजब सी वो रातें,
तन्हाई में तन्हाई से तन्हाई की बातें।
उस से बिछड़े तो मालूम हुआ
कि मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िन्दगी वो थी.......... जो हम
उसकी महफ़िल में गुज़ार आए ।
एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो कि लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तन्हा छोड़ जाते हो तुम।
सौ बार चमन महका,
सौ बार बहार आई,
दुनिया की वही रौनक,
दिल की वही तन्हाई।
मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही,
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही ।
तेरे जल्वों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त,
अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते हैं।
ना ढूंढ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में...
वफादार तो हमेशा तन्हां ही मिलते है ।
तलब ऐसी कि बसा ले
उसे साँसो में हम ।
और...
किस्मत ऐसी कि
दीदार के भी मोहताज है ।
इस इश्क की परवाह में,
हम तन्हा हो गये ।सही कहते थे लोग,
मोहब्बत अकेला कर जाती है ।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है... तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है,
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है,
मैं जो जिंदगी हूँ तो वो भी हैं अना का कैदी,
मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है ।
उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया
अब अपनी यादों की खुशबू भी
हम से छीन लोगे क्या ?किताब-ए-दिल में अब ये
सूखा गुलाब तो रहने दो ।
कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हम से,
मिलना पड़ेगा आखिर कभी ज़रूर हम से,
नज़रें चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हम से...।
पत्थर की दुनिया जज्वात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती ।तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती ।
परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ...अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था ।
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है;
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें।
~ शहरयार
कुछ लोग मेरे शहर में खुशबु की तरह हैं
महसूस तो होते हैं दिखाई नहीं देते...।
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